दोपहर 2.30 बजे। जगह: मॉडल टाउन की लाल बाग बस्ती। चाय की दुकान पर चुनावी चर्चाओं में मशगूल लोग नेताओं की बयानबाजी पर भरोसा नहीं करते। हाथ में छड़ी और गले में मफलर डाले बैठे कृष्णपाल कहते हैं कि नेताओं का कुछ भी भरोसा नहीं है। केजरीवाल तो ठीक है, लेकिन यहां का विधायक ही नकारा है। इस पर पास में ही बैठे दीपक बोले, पांच साल में एक भी बार विधायक देखने को नहीं मिला। बस केजरीवाल के नाम का फायदा बटोर रहा है। इस बीच फते सिंह (थोड़ी ऊंची आवाज में) बोले, अरे भाई सुनो। वोट काम पर ही हमेशा पड़ता है। कोई पाकिस्तान की बातें करने लगता है तो कोई मुसलमानों की। दिल्ली वालों का इससे क्या लेना देना।
तभी अचानक कृष्ण पाल बोले, शाहीन बाग में तो लोगों को परेशानी हो ही रही है। दुकानें भी बहुत समय से बंद हैं। ये कोई तरीका है? दीपक बोले, हां ये तो सही है। ये तो हर कोई कह रहा है। सड़कों पर धरना- प्रदर्शन से आम आदमी को ही दिक्कत होती हैं। फिर चाहे वह मुसलमान हो या हिंदू। अभी कुछ दिन पहले बता रहे थे कि एंबुलेंस भी नहीं निकल पा रही थी। काफी देर से खामोश संतोष बोल पड़े, तो फिर नेता कौन बनेगा इस बार?
फतेसिंह (मुस्कराते हुए), तुम ही बता दो बेटा। संतोष ने फिर कहा, वोट किसी को भी दो, लेकिन घमंड और राजशाही किसी को नहीं मिलनी चाहिए। जो हमसे आज तक मिलने नहीं आया, उसे क्या वोट देंगे? बिजली, पानी फ्री हुआ लेकिन स्कूलों में एडमिशन के लिए कितने धक्के लगाने पड़े, चाचा (फतेसिंह से पूछते हुए) आपके नाती का तो सबसे बड़ा उदाहरण है। हां भाई...(हल्की आवाज में जवाब)। दीपक बोलते हैं, हमारा वोट न पाकिस्तान को और न ही घमंडी नेताओं को। कृष्णपाल भी सहमति से सिर हिलाते है। इसी के साथ ही आपसी चर्चा ने दूसरा मोड़ ले लिया।
मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र दिल्ली की उन हॉट सीटों में से एक है, जहां की चुनावी गतिविधियों पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। यहां भाजपा से कपिल मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं जो आम आदमी पार्टी से बागी नेता हैं। उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी अखिलेश पति त्रिपाठी वर्तमान विधायक भी हैं। वहीं कांग्रेस से आकांक्षा ओला भी मैदान में हैं। इस त्रिकोणीय मुकाबले के बीच सियासी दांव पेच भी यहां बाकी दिल्ली से अलग ही नजर आ रहे हैं। चूंकि इस विधानसभा में पॉश और झुग्गी दोनों तरह के इलाके हैं। इसलिए चुनाव प्रचार भी उसी स्तर से चल रहा है।