देश के अनेक जगहों की तरह पूर्वी दिल्ली के खुरेंजी में भी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है। शाम के समय हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और पुरुष धरना-स्थल पर पहुंच जाते हैं। यहां संविधान की प्रस्तावना का पाठ होता है, राष्ट्रगान गाया जाता है और इसके बाद केंद्र सरकार से नागरिकता कानून वापस लेने की अपील की जाती है।
लेकिन दिन के समय यहां पूरी तरह से सन्नाटा रहता है। इक्के-दुक्के पुरुष और कुछ महिलाएं धरना स्थल पर कानून के बारे में कुछ चर्चा करते मिल जाते हैं, तो कुछ बच्चों के लिए धरना स्थल ही खेलने का मैदान बन जाता है।
सोमवार सुबह लगभग ग्यारह बजे भी धरना-स्थल के आसपास यही माहौल था। लोगों की कम मौजूदगी का सवाल पूछने पर वहां मौजूद सरफराज अहमद ने कहा कि यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। यहां लोगों की जिंदगी रोज की कमाई पर निर्भर करती है।
एक दिन कमाने न जाएं तो शाम को क्या खाएंगे, इसका भी ठिकाना नहीं रहता। ऐसे में इन्हें अपनी रोजी-रोटी भी कमानी है और गैरबराबरी के कानून के खिलाफ आवाज भी उठानी है। यही कारण है कि लोग दिन में अपने काम-काज करते हैं और शाम होते ही प्रदर्शन के लिए मैदान में पहुंच जाते हैं।
वहीं, प्रदर्शन स्थल पर बैठीं इमराना ने बताया कि भारी संख्या में महिलाएं आसपास की बेकरी की दुकानों में काम करती हैं तो कुछ पास ही के गांधीनगर की कपड़ा बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करती हैं। कुछ लोगों के घरों पर अलग-अलग तरह के काम करती हैं। वे सभी इस प्रदर्शन का हिस्सा हैं लेकिन वे सब अपना कामकाज समेटने के बाद शाम चार बजे के आसपास आती हैं।
लेकिन दिन के समय यहां पूरी तरह से सन्नाटा रहता है। इक्के-दुक्के पुरुष और कुछ महिलाएं धरना स्थल पर कानून के बारे में कुछ चर्चा करते मिल जाते हैं, तो कुछ बच्चों के लिए धरना स्थल ही खेलने का मैदान बन जाता है।
सोमवार सुबह लगभग ग्यारह बजे भी धरना-स्थल के आसपास यही माहौल था। लोगों की कम मौजूदगी का सवाल पूछने पर वहां मौजूद सरफराज अहमद ने कहा कि यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। यहां लोगों की जिंदगी रोज की कमाई पर निर्भर करती है।
एक दिन कमाने न जाएं तो शाम को क्या खाएंगे, इसका भी ठिकाना नहीं रहता। ऐसे में इन्हें अपनी रोजी-रोटी भी कमानी है और गैरबराबरी के कानून के खिलाफ आवाज भी उठानी है। यही कारण है कि लोग दिन में अपने काम-काज करते हैं और शाम होते ही प्रदर्शन के लिए मैदान में पहुंच जाते हैं।
वहीं, प्रदर्शन स्थल पर बैठीं इमराना ने बताया कि भारी संख्या में महिलाएं आसपास की बेकरी की दुकानों में काम करती हैं तो कुछ पास ही के गांधीनगर की कपड़ा बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करती हैं। कुछ लोगों के घरों पर अलग-अलग तरह के काम करती हैं। वे सभी इस प्रदर्शन का हिस्सा हैं लेकिन वे सब अपना कामकाज समेटने के बाद शाम चार बजे के आसपास आती हैं।
असमंजस बरकरार
आसपास के लोगों से बात करने पर पता चलता है कि नागरिकता कानून पर लोगों के मन में गहरा संशय है। सरफराज अहमद ने बताया कि सरकार बार-बार कह रही है कि इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। लेकिन फिर इसे लाने की जरुरत क्या थी?
हमनें आधार कार्ड और वोटर कार्ड से वोट दिए हैं, जिससे नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं। अगर वह वैध नहीं है, तो उनका प्रधानमंत्री बनना वैध कैसे हो गया? इन प्रदर्शनकारियों के इन सवालों के जवाब केवल सरकार के पास हैं, जिसने अभी तक इनसे बातचीत करने की कोई पहल नहीं की है।
हमनें आधार कार्ड और वोटर कार्ड से वोट दिए हैं, जिससे नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं। अगर वह वैध नहीं है, तो उनका प्रधानमंत्री बनना वैध कैसे हो गया? इन प्रदर्शनकारियों के इन सवालों के जवाब केवल सरकार के पास हैं, जिसने अभी तक इनसे बातचीत करने की कोई पहल नहीं की है।